ऐसा कोई युद्ध नहीं है जिसने अपनी छाप ना छोडी हो । 1971 में हुए भारत पाकिस्तान के टकराव के दौरान, लोंगेवाला की लडाई की भी एक छाप इतिहास पर है
लोंगेवाला की प्रसिद्ध लड़ाई (4-7 दिसंबर 1971), राजस्थान राज्य के थार रेगिस्तान में लोंगावाला के भारतीय सीमा पोस्ट पर पाकिस्तानी और भारतीय सेना के बीच लड़ी गई थी। युद्ध में, न केवल पाकिस्तानी हमले को जवाब दिया गया था बल्किउनको पीछे भी खदेडा गया था। जब भारतीय सेना ने जवाबी हमला शुरु किया तो पाक बलों को वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इस प्रकार निर्णायक लड़ाई जीती गई और इसने हमेशा के लिए भारत-पाक युद्ध का चेहरा बदल दिया।
लोंगवाला की लड़ाई के बारे में कई तथ्य और आंकड़े हैं, लेकिन घटनाओं को पाठकों के लिए और अधिक वास्तविक बनाने के लिए, हमने 8 सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों को सूचीबद्ध किया है जिन्हें हर भारतीय को जानना चाहिए और गर्व महसूस करना चाहिए -
1. मजबूत भारतीय रक्षा पंक्ति :
दरअसल, इसे चमत्कार के रूप में भी जाना जा सकता है कि भारतीयों ने "लोंगेवाला" की लड़ाई जीत ली थी। 4 दिसंबर 1971 की रात को जब पाकिस्तानी सेना ने लोंगेवाला पोस्ट पर हमला किया था तब वहा तैनात, कमांडिंग ऑफिसर मेजर कुलदीप सिंह चंदपुरी के नेतृत्व वाली, पंजाब रेजिमेंट की 23वी बटालियन रक्षात्मक मुद्रा में थी। हमले को देखते हुए, तुरंत बाद, मेजर चान्द्पुरी ने बटालियन मुख्यालय संपर्क किया और तत्काल हथियार और री-इन्फोर्समेन्ट का अनुरोध किया। लेकिन उनके अनुरोध को नकार दिया गया और बटालियन मुख्यालय ने बताया कि सुबह से पहले मदद पहुचाना संभव नहीं था।
2. बटालियन का साहस जब दुश्मन द्वार पर थे
मेजर चान्द्पुरी के पास केवल दो ही रास्ते थे -
या तो पाकिस्तानी हमले का सामना करें और मदद आने तक उनको रोक कर रखें या फिर अपनी कम्पनी को रामगढ़ तक पीछे हटने के आदेश दें।अदम्य साहस दिखाते हुए, साहसी व द्र्ड निश्चयी चान्द्पुरी ने पीछे न हटने का फैसला किया और बंकर से बंकर तक भागते हुए अपनी बटालियन को दुश्मन को पिछे खदेढने के लिए प्रोत्साहित किया 3. खतरो के विरुद्ध लड़ना
मेजर चान्द्पुरी ने आईएएफ (भारतीय वायुसेना) से हवाई सहायता की मांग की थी। लेकिन उस समय वायु सेना के बेड़े में रात्री दृष्टि वाले लड़ाकू विमान नहीं थे, इसलिए चान्द्पुरी की मांग खारिज हो गई थी।
2000-3000 सैनिको वाली मजबूत पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लोंगेवाला पोस्ट की रक्षा के लिए, अब चांदपुरी और उनकी 120 सैनिकों (मुट्ठी भर 23 वीं पंजाब रेजिमेंट [सिख] और भारतीय सीमा सुरक्षा बल [राजपूत] ) की बटालियन खडी थी। भारतीय सैनिकों ने पाक सेना का बहादुरी से जवाब दिया और दुश्मन को पूरी रात वहाँ रोक कर रखा जब तक कि सुबह की पहली किरण के साथ भारतीय वायु सेना नही पहुच गई।
2000-3000 सैनिको वाली मजबूत पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लोंगेवाला पोस्ट की रक्षा के लिए, अब चांदपुरी और उनकी 120 सैनिकों (मुट्ठी भर 23 वीं पंजाब रेजिमेंट [सिख] और भारतीय सीमा सुरक्षा बल [राजपूत] ) की बटालियन खडी थी। भारतीय सैनिकों ने पाक सेना का बहादुरी से जवाब दिया और दुश्मन को पूरी रात वहाँ रोक कर रखा जब तक कि सुबह की पहली किरण के साथ भारतीय वायु सेना नही पहुच गई।
4. बेमेल अस्त्र शक्ति
भारतीय सेना ने, अपनी कम अस्त्र शक्ति और कम संख्या मे होने के बावजूद, पाकिस्तानी सेना का बखुबी सामना किया और उनको पोस्ट से काफी दूरी पर उल्झाये रखा।
चान्द्पुरी की सेना के पास केवल एक एमएमजी का खेमा, 2 रीकोइल लेस गन डीटेचमेन्ट और 81 मिमि मोर्टर थी। केवल इन हथियारो की मदद से उन्होने ब्रिगेडियर तारिक मीर की दो से तीन हजार वाली पाक सेना ६ घन्टे तक रोक के रखा।
गौरतलब है की पाक सेना के पास 50 से ज्यादा शेरमान और T-59 चीन निर्मित टेंक थे।
चान्द्पुरी की सेना के पास केवल एक एमएमजी का खेमा, 2 रीकोइल लेस गन डीटेचमेन्ट और 81 मिमि मोर्टर थी। केवल इन हथियारो की मदद से उन्होने ब्रिगेडियर तारिक मीर की दो से तीन हजार वाली पाक सेना ६ घन्टे तक रोक के रखा।
गौरतलब है की पाक सेना के पास 50 से ज्यादा शेरमान और T-59 चीन निर्मित टेंक थे।
6. वायु सेना .
सुबह की पहली किरन के साथ ही, भारतीय सेना हरकत मे आ गइ। वायु सेना ने अपने HF24 मारुत और हाकर हन्टर लडाकू विमान लोंगेवाला पोस्ट की मदद के लिए भेज दिये। और बिना कोइ समय गवाये, एचएएल कृषक मे सवार एयर कन्ट्रोलर मेजर आत्मा सिंह के बेढ़े ने युद्ध का झुकाव भारत की तरफ मोढ़ दिया।
बिना हवाई मदद वाली पाकिस्तानी सेना के टेंक और बाकि बख्तरबन्द ट्रक एक आसान सा निशाना थे भारतीय वायु सेना के लिए।
बिना हवाई मदद वाली पाकिस्तानी सेना के टेंक और बाकि बख्तरबन्द ट्रक एक आसान सा निशाना थे भारतीय वायु सेना के लिए।
7. दुश्मन को पिछे धकेलना
जैसे ही भारतीय सेना की दोनो कमाने, थल सेना और वायु सेना, आक्रामक हो गई , वैसे ही पाकिस्तानी हमला पहले थम गया और फिर पिछे हट्ने लगे।
8. युद्ध का परिणाम
भारतीय सैनिकों ने अपने बहादुरी और महान रक्षात्मक रणनीति के कारण पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुचाया। कम से कम 200 पाकिस्तानी सैनिकों को अपनी जान गवानी पढी।वही केवल दो भारतीय सैनिक शहीद हुए। पाकिस्तानी सेना के 34 टैंक और 500 से अधिक अन्य बख्तरबंद वाहनों को छोड कर भागना पडा।
लोंगेवाला की लडाई को एक फिल्म मे दर्शाय गया है जिसका नाम था "बोर्डेर" । इस फिल्म मे मेजर कुलदिप का किरदार अभिनेता सनी देओल ने निभाया। फिल्म 1997 मे रिलिस हुई और एक सफल फिल्म साबित हुई।
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चान्द्पुरी (सेवानिवृत्त) का, 17 नवंबर 2018 की सुबह को निधन हो गया, अपने 78 वें जन्मदिन से पांच दिन पहले।
उन्हें महावीर चक्र के साथ सम्मानित किया गया था
लोंगेवाला की लडाई को एक फिल्म मे दर्शाय गया है जिसका नाम था "बोर्डेर" । इस फिल्म मे मेजर कुलदिप का किरदार अभिनेता सनी देओल ने निभाया। फिल्म 1997 मे रिलिस हुई और एक सफल फिल्म साबित हुई।
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ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चान्द्पुरी (सेवानिवृत्त) का, 17 नवंबर 2018 की सुबह को निधन हो गया, अपने 78 वें जन्मदिन से पांच दिन पहले।
उन्हें महावीर चक्र के साथ सम्मानित किया गया था
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